भारत ही नही दुनिया के अधिकांश हिस्सो में अधिवक्ता काला कोट पहनते है। काला कोट वकालत पेशे की पहचान है। यह अधिवक्ताओं और न्यायाधीशो का ड्रेस कोड है। काला रंग अनुशासन, आत्मविश्वास और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, साथ ही सफेद रंग शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। ऐसे में जब अधिवक्ता और न्यायाधीश काला कोट और सफेद बैण्ड पहनते है, तो वे भी शक्ति, अनुशासन और पवित्रता की मूर्ति बन जाते है और उनसे आशा की जाती है कि वे गलत का साथ दिये बिना, सत्य के साथ खड़े रहेंगे और कानून को शुद्ध मन से जीत दिलाएंगे।
वकालत की शुरूआत इंग्लैण्ड के राजा एडवर्ड तृतीय ने 1327 ई० में की थी। उस समय जज अपने सिर पर सफेद बालों वाला विग पहनते थे और अधिवक्ता, जिनकी 3 श्रेणियां होती थी प्लीडर, बेंचर और बैरिस्टर, सुनहरे लाल कपड़े और भूरे रंग का गाउन पहना करते थे। वर्ष 1600 में अधिवक्ताओं की वेषभूषा में बदलाव आया और 1637 ई० में काले रंग का कपड़ा पहनने वाला प्रस्ताव रखा गया था ताकि अधिवक्ता सामान्य जन से अलग दिखे। 1865 में इंग्लैण्ड के शाही परिवार ने अधिवक्ताओं को काले रंग के वस्त्र पहनने का आदेश दिया था। इसके पूर्व सन् 1694 में ब्रिटेन की महारानी क्वीन मैरी की चेचक से मृत्यु हो गयी थी, जिसके बाद उनके पति राजा विलियम्स ने सभी न्यायाधीशो और अधिवक्ताओं को सार्वजनिक रूप से शोक मनाने के लिये काला गाउन पहनकर एकत्रित होने का आदेश दिया। तब से काला गाउन पहनने की प्रथा चली आ रही है।
भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश रहा है। ऐसे में यहां कई ऐसी परम्पराएं प्रचलित हो गयी जो ब्रिटेन की थी, इन्ही में से एक अधिवक्ताओं और न्यायाधीशो का काला कोट पहनना था। इस प्रकार ब्रिटिश भारत में लम्बे समय तक न्यायिक प्रणाली में काला कोट पहनने की परम्परा बनी रही, हालाकि स्वतंत्रता प्राप्ति के काफी समय बाद तक अधिवक्ताओं का काला कोट पहनना अनिवार्य नही था। परन्तु 1961 के अधिवक्ता अधिनियम की धारा 49 (1) gg के तहत सभी न्यायालयों में अधिवक्ताओं के लिये सफेद बैंण्ड लगानें के पीछे निम्नलिखित तर्क दिये जाते हैं :-
1. काला रंग एक शांत और सम्मानजनक स्वरूप प्रदान करता है। यह वकीलों में अनुशासन लाता है और न्याय के लिए लड़ने के प्रति विश्वास का निर्माण करता है।
2. काला रंग एक ऐसा रंग है जिस पर कोई अन्य रंग चित्रित नही किया जा सकता इसका अर्थ यह है कि न्यायधीश द्वारा दिया गया निर्णय अन्तिम है और इसे बदला नही जा सकता है। वकीलों के लिए इसका तात्पर्य यह है कि वे अपनी राय, विचार और कानूनी प्रक्रियाओं की व्याख्या करते समय अपनें विवेक से समझौता करनें के लिए तैयार नही है।
3. काला रंग दृष्टिहीनता का प्रतीक होता है। चूँकि दृष्टिहीन व्यक्ति कभी पक्षपात नही कर सकता इस लिए वकील काला कोट पहनते है ताकि वे भी बिना कोई पक्षपात किये सच्चाई के लिए लड़ सके जिससे न्यायालय में न्याय को बढ़ावा मिल सके।

सफेद बैण्ड की परंपरा सन् 1640 में इंग्लैंड से ही प्रारम्भ हुई थी। यह शान्ति एवं पारदर्शिता का सूचक होता है, इसका तात्पर्य है कि यह न्यायधीश एवं वकील को शुद्ध एवं पारदर्शिता के साथ विधि व्यवसाय करनें की प्रेरणा प्रदान करता है।
गाउन उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ताओं और न्यायाधीशो द्वारा पहना जाता है। इंग्लैण्ड के अदालतों मे भी इस तरह का गाउन पहना जाता है। इस गाउन की शुरूआत इंग्लैंड द्वारा ही की गयी। इंग्लैंड में विधि व्यवसाय सम्पन्न घरों के लोगों द्वारा किया जाता था और लम्बे कपड़े पहनना सम्पन्न घरों के लोगों की पहचान हुआ करती थी। वकालत ज्यादातर सेवार्थ रूप से उच्च शिक्षित और धनवान लोगों द्वारा की जाती थी। ऐसे लोग इस तरह का गाउन पहनते थे। इस गाउन में पीछे की ओर दो पाकेट हुआ करते थे तथा मुवक्किल अपने वकील के इस गाउन की जेब में जितनी इच्छा या श्रद्धा होती थी उसके अनुसार धन डाल दिया करते थे। वकीलों द्वारा मुवक्किल से कोई फीस नही मांगी जाती थी।
मई 2024 में काले कोट को लेकर भारत के उच्चतम न्यायालय मे एक याचिका दाखिल की गई। यह याचिका 1961 के अधिवक्ता अधिनियम (ADVOCATES ACT, 1961) में संशोधन के लिए दाखिल की गई थी। याचिका में कहा गया कि न्यायालय भारत के सभी बार काउन्सिल को आदेश जारी करे कि गर्मी के महीनों मे काला कोट पहनने से होने वाली समस्या को लेकर एक सूची तैयार की जाय। याचिकाकर्ता ने कहा कि काला कोट पहनने से स्वास्थ्य एवं कार्य क्षमता पर कैसा प्रभाव पड़ता है, इसके लिये एक स्टडी होनी चाहिए। काले कोट को लेकर एडवोकेट शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने याचिका दायर की थी। उन्होने कोर्ट से अपील की है कि भारत के परम्परागत परिधानों के लिये ड्रेस कोड के नियमों में कुछ परिवर्तन किया जाय। मैदानी क्षेत्रों में गर्मी प्रचण्ड रूप से पड़ती है और यह लगातार कई माह तक अपना प्रभाव दिखाती है। ऐसे मे काला कोट पहनकर कोर्ट आना-जाना मुश्किल भरा होता है। याचिका कर्ता ने कहा कि अंग्रजो ने काला कोट ब्रिटेन के मौसम की परिस्थिति को देखकर रखा है। हमारे भारत की भौगोलिक स्थिति के अनुसार इसका प्रयोग उचित नही है। गर्मी के दिनों मे काले रंग का कपड़ा बहुत कम लोग पहनना चाहते है, उसके पीछे काले रंग द्वारा गर्मी का अवशोषण करना होता है। काले रंग का कपड़ा पहनने से सामान्य रंग के कपड़े पहनने की अपेक्षा ज्यादा ही गर्मी होती है।
~ प्रदीप कुमार, सहायक आचार्य (LL.M., NET)

